ममता, समर्पण, माधुर्य वही है, परहित में खुद मिट जाती है वो !कोमल तन-मन मगर हौसला, कि वक्त से भी भिड़... ममता, समर्पण, माधुर्य वही है, परहित में खुद मिट जाती है वो !कोमल तन-मन मगर हौसला...
आदमी अब भीड़ लगने लगा है , जिया नहीं एक शब्द, आसमान का विस्तार सिमट गया था मुझ में, भरा नहीं गया एक श... आदमी अब भीड़ लगने लगा है , जिया नहीं एक शब्द, आसमान का विस्तार सिमट गया था मुझ मे...
एक एकता भीड़ की सारे एक अनेक हांक ले गया भीड़ को आगे पीछे एक एक एकता भीड़ की सारे एक अनेक हांक ले गया भीड़ को आगे पीछे एक
आते हैं परिणाम सभी के अच्छे और जो भी हैं बदी के आते हैं परिणाम सभी के अच्छे और जो भी हैं बदी के