बुरी लत
बुरी लत
खोया जमाना शैतानों में
भीड़ लगी है मयखानों में।
आदी हुआ है मनुष नशे का
ज्यों बंद पड़ा हो पैमानों में।।
आते हैं परिणाम सभी के
अच्छे और जो भी हैं बदी के।
करते फिर भी नित नित ग़लती
ढीले पड़ गए पाबंदी में।।
घर जेवर सब नित नित बिक गए
बिक गए सारे नित नित हार।
तब भी चले करने को नशा
मानो कहें आ बैल मुझे मार।।
