ऋतु बसंत
ऋतु बसंत
जैसे पावन शीतल निर्मल
गंगा नदी का पानी है।
जैसे अद्भुत अति उत्तम
संस्क्रत देववाणी है।
जैसे मीरा नंदलाला की
निस्वार्थ अमर दिवानी है।
वैसे इस भारत भूमि में
ऋतु बसंत ऋतुओं में रानी है।।
हुई वसुंधरा रंगों में
रंगीन रंग बिखराए हैं।
पुष्पों से महके तरूवर में
सुंदर फल लग आए हैं।
सरसों फूली पीली पीली
जैसे चुनर सुहानी है।
वैसे इस भारत भूमि में
ऋतु बसंत ऋतुओं में रानी है।।
दुख की धारा दुग्धी हो गई
सुख की बारिश आई है।
ऋतु बसंत चहुं ओर परस्पर
प्रेम भावना लाई है।
रातें हो गई लंबी लंबी
अब नानी कहे कहानी है।
ऐसे इस भारत भूमि में
ऋतु बसंत ऋतुओं में रानी है।।