साहित्य समाज का दर्पण होता है। हर साहित्यकार समाज की बुराईयों को दूर करने हेतु अपनी कलम का प्रयोग करे यही मेरी मंगल कामना है।
भारत की इन फिजाओं में याद रहूंगा, आजाद था, आजाद हूं, आजाद रहूंगा। भारत की इन फिजाओं में याद रहूंगा, आजाद था, आजाद हूं, आजाद रहूंगा।
शांति प्रिय भारतीय प्रेम अर्पित करें हो जरूरी तो खुद को समर्पित करें शांति प्रिय भारतीय प्रेम अर्पित करें हो जरूरी तो खुद को समर्पित करें
तू मांगेगा तो क्या तुझको गलवान दे देंगे, क्या आन बान शान अपना मान दे देंगे। तू मांगेगा तो क्या तुझको गलवान दे देंगे, क्या आन बान शान अपना मान दे देंगे।
जा बैरन बयार कहना पिया से उनकी याद आ रही है। जा बैरन बयार कहना पिया से उनकी याद आ रही है।
ये बसंत की ऋतु, भरती दिलों में प्यार है। पीली सरसों की ये तो, महकी हुई बहार है। ये बसंत की ऋतु, भरती दिलों में प्यार है। पीली सरसों की ये तो, महकी हुई ...
वो वसंत का मौसम वो मचलता यौवन फिसलता दामन चंचल मन वो वसंत का मौसम वो मचलता यौवन फिसलता दामन चंचल मन
जैसे पावन शीतल निर्मल गंगा नदी का पानी है। जैसे अद्भुत अति उत्तम संस्क्रत देववाणी है जैसे पावन शीतल निर्मल गंगा नदी का पानी है। जैसे अद्भुत अति उत्तम संस्क्...
हुई है लाल गगन काया या युवती ने अधर रचाई है या बसंत ऋतु आई है। हुई है लाल गगन काया या युवती ने अधर रचाई है या बसंत ऋतु आई है।
काजल से कजरारे, नयन कटार हो गये। काजल से कजरारे, नयन कटार हो गये।