STORYMIRROR

Dinesh Sen

Others

4  

Dinesh Sen

Others

बसंत की ऋतु

बसंत की ऋतु

1 min
340

बाग में चहकी हैं चिडियां,

फूल आज खिल गये।

ऋतु बसंत की जो आई,

दिल दिलों से मिल गये।


झिलमिलाती रात आई,

तारे भी झिलमिल हुए।

चांद को देखे चकोर,

चित्त भी शीतल हुए।


क्षुदा शांत हो गई अब,

दुख भी सारे खो गए।

सपने हुए साकार सारे,

सुख भी हासिल हो गये।


सजनी सज गई प्यार में,

साजन के सपने देखती।

लाल चुनर से सजी,

साजन के घर को मैं चली।


ये बसंत की ऋतु,

भरती दिलों में प्यार है।

पीली सरसों की ये तो,

महकी हुई बहार है।


Rate this content
Log in