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Dinesh Sen

Romance

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Dinesh Sen

Romance

मौसम बसंती

मौसम बसंती

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नयन नूर के भी,

कजरारे हो गये।

कमली के केश भी,

काजल से काले हो गये।


जाने क्या बसंत,

लाया हवा में घोल के।

ये पुष्प और परागकण भी,

प्यारे प्यारे हो गये।


ये मंद बयार की सुगंध,

छा गई है ऋतु में।

करूं लाख कोशिश,

पर रह न पाऊं सुध में।


लोक लाज रोक रोके,

पैर न बढा सकूं।

पायल हुई निगोडी,

घुंघरू बेशरम हो गये।


चाल होये मतवाली,

मत करो अब पिया तंग।

आ के भरो बहियां में,

रखो कदम संग संग।


बाँट देख देख होय,

नयनन की न्यारी नजर।

काजल से कजरारे,

नयन कटार हो गये।


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