वो रहनुमा मेरी हस्ती का
वो रहनुमा मेरी हस्ती का
वो रहनुमा मेरी हस्ती का ,
मैं उसकी कद्रदान हूँ ,
हाँ - हाँ ये ज़माना सुन ले ,
वो मेरा और मैं ....
उसकी जाँ हूँ।
उसके आने से ,
इस दिल को करार आए ,
धड़कने बेतहाशा ,
बहुत जोरों से ,
धड़कती जायें।
हाथों में हाथ लिए ,
चूमने एक दूजे को ,
कसम खुदा की ,
सारी कायनात तब ,
सँवरती जाए।
जलने वाले तब ,
जलने का मज़ा और लेलें ,
लबों से उँगलियां जब ,
इस नशीले बदन पर ,
थिरकती जायें।
ज़िस्मों की आग में पिघल ,
उसका रोम - रोम ,
मेरी हस्ती में मिल ,
मुझे दीवाना बना ,
हाँ ... मैं उसकी महरबाँ हूँ!

