इश्क में लड़के
इश्क में लड़के
इश्क मे लड़के अक्सर "पिता" हो जाते हैं
खानाबदोशी के पर्याय ये लड़के
जिम्मेदारी के आंकठ में डूब जाते हैं।
सिगरेट के धुंध से खौफ खाने लगते हैं
उन्माद ह्रदय से पल में सहनशील हो जाते हैं
सीखते है प्रेम मे अपनत्व का पाठ
परिवार की महत्ता,
रिश्तो की मर्यादा
आहिस्ते-आहिस्ते सहेजना कई लोगों को।
बेतरतीब वसन में घूमने वाले लड़के
सीख जाते है ट्रैफिक पर प्रतीक्षा करना
प्रेयसी से विदा की चुम्बन से पुर्व
हाथों में हेलमेट लेना नहीं भूलते।
प्रेम का हर आंलिगन शिष्ट बना देता है
प्रेयसी के केन्द्र बिन्दू में बुनते हैं अपनी दुनिया।
उस परिधि में सहेजते हैं सपने,सलीके
और तहजीब झलकती मुख सौम्यता।
सात रंगो मे विज्ञान समझने वाले लड़के
सीख जाते एक रंग के सैकड़ों रुपों का ज्ञान
पुरूषवाद औ' नारीवाद के झंझावातों से इतर
प्रेयसी की हर मनोच्छा को सम्मान देते हैं।
इश्क मे पिता सी पेशानी लिऐ लड़के
ह्रदय से बच्चे बन जाते हैं
प्रेमिका के चुम्बन से टपकता वात्सल्य
माँ के आँचल की छाँव का सुख देता है।
निश्चित समय मे वक्त के करवट पर
जब बिखरता है प्रेम तिलिस्म
ये रूह से शिथिल हो जाते हैं
अनवरत कई सालों तक बदहवास भागते हैं
रोते हैं, चिल्लाते हैं औ' मर जाते हैं।
भीतर का पिता थक कर ठाँव ढूंढता है
मानो हारा शहर वापस गाँव ढूंढता है
संसार से विरक्त होकर वो पिता बन जाते हैं
जिसके बच्चे को कुचल दिया गया।
हत्या कर दी गई भरे शहर में
और कुछ भी फर्क नही पड़ा संसार को।
अतीत के आग की राख को बदन
पर लपेटे लड़के, सती के वियोग में शिव हो जाते हैं।
मैं एक ऐसे लड़के को जानता हूँ
जो इस पूरे सफर में मेरे सामने रहा
प्रेयसी को स्मृतियों मे संजो कर
हर रोज इबादत करता है।
रचता है कई प्रेम कविताऐं
कहता है वो पिता है अपने बच्चे को
कविता मे सांस लेते महसूस करता है।