तुम आ जाना
तुम आ जाना
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खिड़की खुली है,
मन करे तो आ जाना।
दरवाज़े को भी टेक रखा है मैंने,
तुम दबे पांव चले आना।
नहीं करूंगा शोर आज,
कि तुमसे बेपनाह इश्क़ है।
नहीं बताऊंगा उन्हें,
कि तुमसे बेवजह इश्क़ है।
बस तुम यूं ही चले आना।
इस शोर शराबे से दूर,
मीठी - सी धूप लिए मेरे आंगन में,
मुद्दतों बाद मुरादों को पूरा करने,
बस तुम यूं ही चले आना।
गीले तकियों से बिस्तर की सिलवटों तक,
बस तुम यूं ही चले आना।
बेरुखी भी कैसी अजीब थी तुम्हारी,
महबूब की बांहों में भी तुम मेरा नाम पुकारती रही।
रही - सही मोहब्बत जो रही होगी गर,
तो बस तुम यूं ही चले आना।
मर्ज़ - ए - इश्क़ की दवा बनकर,
बस तुम यूं ही चले आना।
उजाले में ना सही तो परछाई ही बनकर,
इस अंधेरे को मिटाने चले आना।
खिड़की खुली है,
मन करे तो आ जाना।
मन करे तो आ जाना...।