स्नेहाकांक्षी लेखक , मेरी रचना ही मेरी कल्पना है , और मेरी कल्पना मेरी स्पर्धा...
Share with friendsचौथी संतान भी बेटी, हे ईश्वर, इससे अच्छा तो बेऔलाद रखता मुझे !"
Submitted on 29 Sep, 2020 at 14:46 PM
उन बातों का स्मरण कर आज भी आँखों में अंगार रूपी ज्वाला भड़क उठती है
Submitted on 27 Nov, 2019 at 13:44 PM
आज भी 'मि.कूल' का वो लोकव्यवहार मेरे मन मस्तिष्क पर अमिट छाप की भाँति विराजमान है।
Submitted on 10 Nov, 2019 at 16:23 PM
आज उन बचपन की यादों और उन दिनों के अद्भुत मनोविज्ञान को याद कर आंख फिर भर आयी थी।
Submitted on 09 Nov, 2019 at 18:25 PM
आप स्वयं ही बैल को निमंत्रण दे रहे हैं कि "आ बैल , मुझे मार
Submitted on 07 Nov, 2019 at 18:09 PM
दोनों सेनापतियों को अब विदित हो चुका था की संगठन की वास्तविक शक्ति है, "एक और एक ग्यारह
Submitted on 05 Nov, 2019 at 16:09 PM
दो आखिरी खत जो लिखे गए, लेकिन कभी भेजे नहीं गए, मानों एक दूसरे को कोस रहे हों। नियति इतनी कठोर परीक्षा कैसे ले सकती है।
Submitted on 04 Nov, 2019 at 17:22 PM
मन में पीड़ा लेकर जाने कब उसकी आँख लग गयी उसे भी पता न चला। रिश्ता अनकहा अनजान,पर थी खुद उसकी पहचान !"
Submitted on 02 Nov, 2019 at 19:43 PM
इतना कह कर नोट मेरी हथेली पर रख कर इतराता हुआ आगे बढ़ चला।
Submitted on 31 Oct, 2019 at 16:56 PM
मेरी कुंठा पर कुठाराघात हुआ था, ये "भीख नहीं भूख " थी !
Submitted on 24 Oct, 2019 at 17:08 PM