निशान्त "स्नेहाकांक्षी"

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4.9  

निशान्त "स्नेहाकांक्षी"

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प्रत्यक्ष महोत्सव

प्रत्यक्ष महोत्सव

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'टिंग -टिंग', फोन पर व्हाट्सएपअलर्ट की आवाज़ से मेरी तंद्रा भंग हुई, "स्टोरी मिरर" व्हाट्सएप ग्रुप में नॉन स्टॉप नवंबर T30 कप प्रतियोगिता के बारे में मैसेज था, आज का सांकेतिक शब्द था "महोत्सव", जिसपर मुझे रचना लिखनी थी ! 


वैसे तो रंग बिरंगे, जगमगाते त्योहारों के मौसम में हर एक दिन एक नये उत्सव से कम नहीं होता, और इस वर्ष तो संपूर्ण देश " आज़ादी के अमृत महोत्सव " का जश्न मना रहा है, ऐसे में किसी एक महोत्सव पर रचना लिखना मानो लाखों की भीड़ में  किसी व्यक्ति को ढूँढना ! 


आखिर उत्सवों की इस बारिश में किस एक पर्व विशेष को अपनी रचना का आधार दूँ, इसी उधेड़बुन में दिमाग के घोड़े दौड़ाये जा रहा था, कि अचानक मेरे बेटे युवान्श की मधुर तोतली आवाज़ मेरे कर्ण पटल से टकरायी -"हिप हिप हुर्रे!, पापा पापा! मुधे ना... आद ना.. कराटे क्लास में ना, सल ने यल्लो बेल्ट दिया, 'आई एम द विनल' ! " और हाथ में यल्लो बेल्ट थामे युवान्श खुशी में झूमता तालियाँ बजाकर उछलने कूदने लगा ! 


उसकी मासूम खुशी के आगे जीवन के सारे उत्सव "बौने" से प्रतीत होने लगे! जिंदगी का सबसे बड़ा महोत्सव मेरे आँखों के समक्ष प्रत्यक्ष था ! 



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