एनिवर्सरी- केक कटना था पर अभिनव का जी कैसे मानता...वसंत की यह कैसी दस्तक ? एनिवर्सरी- केक कटना था पर अभिनव का जी कैसे मानता...वसंत की यह कैसी दस्तक ?
तुम मेरे लिए हमेशा खास रहोगी तुम मेरे लिए हमेशा खास रहोगी
आज अपने-आप को बौना समझ, नतमस्तक हो गया। आज अपने-आप को बौना समझ, नतमस्तक हो गया।
और एक स्वच्छ और स्वस्थ भारत के साथ अपनी जीवन यात्रा आगे बढ़ा सकेंगे। और एक स्वच्छ और स्वस्थ भारत के साथ अपनी जीवन यात्रा आगे बढ़ा सकेंगे।
सबकी अपनी-अपनी ठंड है और ठंड दूर करने के लिए सबकी अलग अपने तरीके की रजाई होती है। संसा सबकी अपनी-अपनी ठंड है और ठंड दूर करने के लिए सबकी अलग अपने तरीके की रजाई होती है...
तुम्हारी माँ सारा दिन घर की सफाई में लगी रहती है। तुम्हारी माँ सारा दिन घर की सफाई में लगी रहती है।