khushi kishore

Drama Romance Fantasy

3  

khushi kishore

Drama Romance Fantasy

अधूरी दस्ता

अधूरी दस्ता

4 mins
12.2K



रात के अंधेरे में,हवा की तेज रफ्तार के साथ होड़ लगाती। हवा को चीर कर अपने गतवंत की तरफ तेजी से भागती ट्रेन की खिड़की पर सर टिका कर बैठना बहुत भाता था उसे। खिड़की से आती तेज हवा के झोंके कुछ पल को उसके जिन्दगी के सारे दर्द उड़ा कर ले जाते थे।तापसी नाम था उसका। उमर होगी कोई 25 30 के बीच लेकिन वक्त के थपेड़ों ने बहुत जल्दी परिपक्व बना दिया था। बचपन एक अनाथालय में बिता था, आज भी उसे अपने माता पिता के बारे में कुछ नहीं पता था। एक बार बहुत पूछने पर अनाथालय की दीदी ने उसे बताया था, छोटी सी मिली थी वो उनको, अनाथालय की सीढ़ियों पर लाल रंग के कपड़े में लिपटी हुई। कौन छोड़ गया? क्यों छोड़ गया इन प्रश्नों के उत्तर उसे कभी नहीं मिले।तापसी आंखे बंद किए अपने खयालों में गुम थी, तभी ट्रेन झटके से रुकी,कोई स्टेशन आ गया था। स्टेशन पर छिटपुट लोग ही थे। वैसे भी रात के 11 बजे यात्रियों की भीड़ खुद ब खुद कम हो जाती है। तापसी मन ही मन में भगवान से प्रार्थना कर रही थी उसके डब्बे में कोई भी सवारी ना आए। ट्रैन खुलती देख उसने गहरी सांस ली, चलो अच्छा है! कोई भी यात्री उसके डब्बे में नहीं आया।स्टेशन का नाम जानने को, तापसी ने खिड़की से बाहर झांका तो बुक स्टाल के पास खड़े व्यक्ति पर उसकी नजरें ठहर गई। साहिल! हां साहिल ही तो है, उसकी नजर साहिल को पहचानने में कभी धोखा नहीं खा सकती है। लंबा कद, गोरा रंग, घुंघराले बाल उसका पूरा व्यक्तित्व ही तापसी के जेहन में रचा बसा हुआ था।एक पल के लिए जैसे उसकी सांसे रुक सी गई थी।साहिल की नजर उसपर पड़ती, उससे पहले खिड़की छोड़ अंधेरे में खुद को छुपा लिया तापसी ने।ट्रेन स्टेशन छोड़ तेज रफ्तार से सरपट भाग रही थी, और भाग रहा था तापसी का मन अतीत की गलियों में।16 की थी तापसी तब, जब वो पहली बार साहिल से मिली थी। अनाथालय के हॉल में, उत्सव सी तैयारी चल रही थी। उन सब को बताया गया था, आज एक बहुत बड़े उद्योगपति अपनी पत्नी और बेटे के साथ आने वाले थे।सभी ने अपने सबसे सुंदर कपड़े पहने थे।तापसी ने भी अपनी लाल रंग की लॉन्ग ड्रेस पहनी थी। पिछले महीने उसके जन्मदिन के उपहार स्वरूप मिली थी वो लाल ड्रेस उसे। तीखे नैन नक्श, गेहुंआ रंग और उम्र का 16 वा वसंत। तापसी का रूप ऐसा था कि कोई भी देख कर मोहित हो जाए।सब हॉल में खड़े इंतेजार कर रहे थे,साहब आ गए की आवाज पर तापसी ने दरवाजे पर नजर दौड़ाई तो अधेड़ उम्र के दंपति के पीछे आते हुए, दुबले पतले से युवक पर नजरें ठहर गई थी उसकी।थोड़ी ही देर में हॉल के बीचों बीच एक टेबल पर बड़ा सा केक रखा गया था। उस अनजान युवक ने जैसे केक काटा, हॉल तालियों की गड़गड़ाहट के साथ, हैप्पी बर्थडे साहिल की आवाज से गूंज उठा था।धीरे से नाम को लबो पे दोहराई थी तापसी, साहिल...पहली नजर का प्यार हो गया था, उसे। ऐसा ही तो होता है किशोरावस्था का प्यार। बारिश की मिट्टी की सौंधी खुशबू जैसा।उस दिन के बाद साहिल हर दूसरे दिन अनाथालय आता था। कभी बच्चो को पेंटिंग सिखाने तो कभी उनके साथ फुटबॉल खेलने। तापसी की झिझक धीरे धीरे कम होने लगी थी । अब वो साहिल के आने पर शर्मा कर भागती नहीं थी बल्कि उससे खूब सारी बाते किया करती थी।साहिल शिमला के किसी मिलिट्री स्कूल में पढ़ता था छुट्टियां बिताने में घर आया हुआ था।साहिल को भी तापसी का साथ अच्छा लगने लगा था। बस बच्चो के साथ खेलने के बहाने वो तापसी के साथ समय बिताने आ जाया करता था।दिन पंख लगा उड़ रहे थे।एक दिन बातों बातों में साहिल ने उसे अपने वापस जाने की बात बताई । तापसी मुक बनी डबडबाई आंखों से बस उसे देख रही थी।जाते जाते साहिल ने तापसी का हाथ अपने हाथो में ले बस इतना कहा था। तापसी बोहत काबलियत है तुम्हारे पास।इन्हें व्यर्थ ना जाने देना। जिन्दगी के किसी मोड़ पर तुमसे मुलाकात हुई तो एक स्वावलंबी तापसी से मिलना चाहता हूं, मैं। हम दोनों की उम्र मुझे कुछ भी कहने से रोक रही है। तुम मेरे लिए हमेशा खास रहोगी।तापसी कुछ बोल पाती इससे पहले, अपना ख्याल रखना बोल चला गया था साहिल। एक बार पलट कर भी नहीं देखा उसने। तापसी अपना दिल, साहिल के लिए अपने प्रेम को सहेज, बस उसे जाते हुए देख रही थी।जिन रिश्तों को अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन उन्हें एक खूबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा।तापसी को किसी पुराने गाने की ये पक्तिया अपनी जिंदगी की दस्ता लग रही थी। उसका पहला प्यार अधूरा रह गया था। तापसी ने कभी भी साहिल से मिलने की कोशिश नहीं की और साहिल वो तो खुद ही उसे बीच मझधार में छोड़ गया था। ना इजहार, ना इनकार, ना कोई वादा। जाते जाते कहे गए साहिल के शब्दों का पूरा मान रखा था तापसी ने।तापसी की आंखों के कोरे नम हो चले थे। आज साहिल को यूं देख उसे अपने प्रेम की अधूरी दस्ता याद आ गई थी। अधूरा ही सही, साहिल तापसी का पहला प्यार था। बिना कुछ बोले साहिल ने उसे जो प्यार, जो इज्जत दी थी, जिन्दगी ने दुबारा उसे कभी नहीं दिए।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama