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khushi kishore

Romance

3  

khushi kishore

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प्यार या अफसाना !

प्यार या अफसाना !

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रिमझिम गिरे सावन सुलग सुलग जाये मन, भींगे आज इस मौसम में लगी कैसी ये अगन ......

किशोर कुमार के गाने की धुन गुनगुनाते हुए, चाय की चुसकिया लेते शौर्य को अंजली के मन में चल रही उलझन का कोई अंदाजा नहीं थी । 

अंजू देखो ना मौसम कितना सुहाना है ना! – शौर्य

हाँ, अनमने ढंग से हाँ बोल अंजली खुद को काम में व्यस्त दिखाने की कोशिश करने लगी।

आज छुट्टी वाले दिन भी अंजली का यूं काम में लगे रहना शौर्य को थोड़ा अजीब लग रहा था।

अंजली तो हमेशा काम को पहले ही खत्म कर लिया करती थी ताकि उन दोनों को साथ वक्त बिताने का मौका मिल सके।

शौर्य ने मन की बातों को किनारा कर फिर से पहल की, अंजली चाय पीओगी?

देखो मना मत करना, तुम्हारी पसंद की बनाऊँगा! एकदम कड़क इलायची वाली।

अंजली ने हाँ तो नहीं बोल लेकिन मना भी नहीं किया।

बस शौर्य चाय बनाने चल दिए।

गर्मी के बाद की रिमझिम फुहारे वाली बारिश, मिट्टी की सौंधी खुशबू और छुट्टी वाली अलसाई सी सुबह। शौर्य चाय बनाते बनाते फिर से वही गाना गुनगुनाने लगे।

रिमझिम गिरे सावन.. सुलग सुलग जाए मन..

ये लीजिए मैडम! बिल्कुल आपके पसंद की चाय, बड़ी अदा से चाय का कप टेबल पर रखते हुए शौर्य ने कहा!

शौर्य तो अंजली की मुस्कुराहट देखना चाहते थे, लेकिन अंजली तो आँखे भरे बैठी थी।

आखिर क्या बात हो सकती है अंजली की उदासी की? मन में सोचते हुए,

शौर्य कुर्सी खींच कर सीधा अंजली के सामने बैठ गए।

अंजली कुछ बोलने के बदले खुद में ही सिमटी जा रही थी।

शौर्य ने प्यार से अंजली का चेहरा अपनी हथेलियों में भर ऊपर उठाया।

ऐसे कोई रूठता है क्या? गुस्सा हो? मैंने अनजाने में कुछ कहा क्या?

प्लीज बताओ अंजली, तुम्हारा ऐसे गुमसुम रहना मुझे बिल्कुल नहीं पसंद।

अंजली! जो भी शिकायत है मन में एक बार बोल कर तो देखो।

जी, वो गाना.. – अंजली

कौन सा गाना – शौर्य

वही जो आप सुबह से गा रहे हैं – अंजली

अच्छा वो! हाँ गा रहा हूँ तो उसका तुम्हारे गुस्से से क्या लेना – शौर्य

इतने भी बेवकूफ नहीं हैं हम, ये वही गाना है ना जो आप अपने पहले प्यार, साँझ के लिए गाते थे।

जब भी आप दोनों बारिश में बाहर घूमने जाते थे। - अंजली

हाँ, लेकिन वो तो पुरानी बातें हैं। अच्छा! तो मैडम को जलन हो रही थी वो भी एक गाने की वजह से। और, ये क्या पहला प्यार लगा रखा है? – शौर्य

कॉलेज के दिन थे वो, जितनी कच्ची उम्र, उतनी कच्ची समझ।

अंजली प्यार की परिभाषा तो मैंने तुमसे सीखी है। तुम हो मेरा प्यार!

देखो मेरी तरफ! और कहो की मैं तुमसे प्यार नहीं करता।

क्या तुम सच में मेरे प्यार को महसूस नहीं करती? – शौर्य

अंजली का हाथ अपने हाथ में ले कर शौर्य ने धीरे से उसे अपनी तरफ खींच लिया।

अंजली के मन का मैल, आंसुओं संग बह रहा था।

सच ही तो है, शादी के बाद शौर्य ने सच्चे जीवनसाथी की तरह हमेशा उसका हाथ थामा है।

अंजली ने शौर्य के कंधे पर सर रख अपनी आँखें बंद कर ली। तभी बारिश की फुहार ने दोनों को भिंगो दिया, एक दूजे के प्यार में।

शौर्य अंजली को थामे, चाय की चुसकियों के साथ अपना पसंदीदा गाना गुनगुनाने लगे।

रिमझिम गिरे सावन..

हाँ! इस बार अंजली के चेहरे पे उदासी नहीं, शौर्य के प्यार की लालिमा बिखरी हुई थी। 

   


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