लेखिका: इरीना पिववारवा अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखिका: इरीना पिववारवा अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
हमें सभी को पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलानी होगी। हमें सभी को पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलानी होगी।
देखो जन मानस में धीरे धीरे बदलाव आने लगा है देखो जन मानस में धीरे धीरे बदलाव आने लगा है
आसपास की नदियों और तालाबों में दूषित चीजों को पानी में न बहायें! आसपास की नदियों और तालाबों में दूषित चीजों को पानी में न बहायें!
बंदर कितना भी बू़ढ़ा हो जाये, वह कुलाटी मारना नहीं भूलता है। सभी बंदर की तरह खो-खो करके हँसने लगे। बंदर कितना भी बू़ढ़ा हो जाये, वह कुलाटी मारना नहीं भूलता है। सभी बंदर की तरह खो-ख...
पेड़ “यही कि हमें मत काटो, हमें काटकर अपने पैरों पर क्यों कुल्हाड़ी मारते हो?” पेड़ “यही कि हमें मत काटो, हमें काटकर अपने पैरों पर क्यों कुल्हाड़ी मारते हो?”