लेखिका: इरीना पिववारवा अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखिका: इरीना पिववारवा अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
मैनें एक लड़की को देखा वो फूल जैसे सुन्दर थी वो फूल बेच रहा थी! मैनें एक लड़की को देखा वो फूल जैसे सुन्दर थी वो फूल बेच रहा थी!
तुम्हारी ये बात सही ही है कि लोग मुझ पे रिझते हैं तुम्हारी ये बात सही ही है कि लोग मुझ पे रिझते हैं
मैं घंटों तक वहां बैठकर रोता रहा.... वह मुझसे बहुत दूर जा चुकी थी... बहुत दूर... मैं घंटों तक वहां बैठकर रोता रहा.... वह मुझसे बहुत दूर जा चुकी थी... बहुत दूर...
क्या कुछ पुरुष बांझ नहीं हो जाते ? बिना बच्चों के कितने परिवार हैं। क्या कुछ पुरुष बांझ नहीं हो जाते ? बिना बच्चों के कितने परिवार हैं।
तब से, लोगों ने काफिले के फूल को 'मैडोना कप' कहा है।" तब से, लोगों ने काफिले के फूल को 'मैडोना कप' कहा है।"