Vinayak Ranjan

Abstract Inspirational

3.5  

Vinayak Ranjan

Abstract Inspirational

फूल और काँटे..

फूल और काँटे..

2 mins
300


एक बार बहुत ही द्वेष भाव में गुलाब फूल के काँटे ने अपनी मन की बात गुलाब फूल से कुछ यूं कहीं .. कि तुमसे अब बड़ी जलन सी होने लगी है। हर कोई जो भी पास आता वो बस तुम्हें ही देखता.. मुस्कुराता.. फोटो खिंचता.. खिंचवाता.. और तो और तुम्हारे साथ सेल्फी भी लेता.. तुम्हें तोड़ अपने कलेजे से लगाता.. अनगिनत दृश्यों को रिझाता.. भगवान भी तो तुम्हीं से खुश होते, तुम कभी उनके चरणों में तो कभी माथे पे शोभित होते.. लेकिन देखो हमारी सुध लेने वाला तो कोई भी नहीं.. और जैसे हमसे तो सब खुद को बचते बचाते ही नजर आते। फूल तो जैसे बड़ी गंभीरता से उन बातों को सुन रहा था। भावाकुलता और विचार समग्रता चरम पे लिए फूल ने काँटे से कहा.. मित्र जो तुम महसूस कर रहे हो वो सबकुछ तो दुनियाँ हमें दिखा रही है। लेकिन तुम वो नहीं देख पा रहे जो मैं देख रहा हूँ। हाँ तुम्हारी ये बात सही ही है कि लोग मुझ पे रिझते हैं.. लेकिन जड़ शाश्वत तो तुम ही हो। मेरी आयु ही कितनी है.. वक्त की निष्ठुरता देखो या तो तोड़ लिया जाता हूँ.. या अपनी ही पंखुड़ियों को झड़ते देखता हूँ। और इतना होने के बावजूद फिर तुम ही तो हमारे नए सृजन के आधार व संरक्षक बनते हो। नई कलियों को बखूबी सहेजे रखते हो.. उसका सतत् पोषण करते हो। सच कहूं तो हमारा जीवन तुम्हारे ही आलिंगन से है.. मिथ्या सौन्दर्य भावों की क्षणिक आपूर्तियों के लिए भले ही मान मिल जाऐ.. चढ़ते बाजारों के ऊँचे दाम मिल जाएं .. लेकिन मेरा सार्थक जीवन मूल्य तो तुम्हारी संबंधता से ही है और देखो ना.. छूटते ही निष्प्राण सा हो जाता हूँ। अच्छा देखो.. फिर से एक नया हाथ मुझे तोड़ ले जाने को आतुर है.. बस मेरे विन्यासों को बचाऐ रखना.. मैं चला।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract