Asst. Professor CSE/Management www.vipraprayag.wordpress.com www.vipraprayag.blogspot.com
Share with friendsये देख यक्ष ने कहा ” जल का मूल्य माँगा था। घड़े क्यों दिए।”
Submitted on 06 Jul, 2020 at 19:35 PM
राजा नवल सेन ने भी अपने देश में उसके प्रवेश को रोक दिया।
Submitted on 06 Jul, 2020 at 19:25 PM
तुम्हारी ये बात सही ही है कि लोग मुझ पे रिझते हैं
Submitted on 05 Jul, 2020 at 11:57 AM
.. मानो इस भरी दुपहरी में इस ताडी-तीर्थ के भी दर्शन कर ही लुं।
Submitted on 05 Jul, 2020 at 11:15 AM
तब भी अपने अभिनव के साथ संघर्ष जो तत्क्षण मौन था।
Submitted on 29 Jun, 2020 at 07:36 AM
चाईनिज बत्तियों की तरह जली पड़ी हैं, और हम कम दामी मजे ले रहे हैं।
Submitted on 29 Jun, 2020 at 06:56 AM