मानसरोवर का जीवन-मूल्य..
मानसरोवर का जीवन-मूल्य..


सदियों वर्ष पहले कुछ साधु सन्यासियों फकिरों का दल अपनी जमात में विश्व-भ्रमण को निकला था। दिन भर की भरी दुपहरी में जब सभो को प्यास लगी तो पास ही एक नीले रंग लिए एक दिव्य सरोवर दिखाई दी। उस अद्भुत सरोवर को देख। सभो ने अपने कमर में लटकी मिट्टी के छोटे घड़े को ले उस सरोवर के पास गये जी भर कर पानी पिया और फिर अपने अपने घड़ो में पानी भर अपने आगे की यात्रा को बढ़ते ही की… उस सरोवर का यक्ष निकल पड़ा। और साधुओं से कहा ” इस सरोवर के जल का मूल्य कौन देगा।?” ये सुन सारे साधु सन्यासी अवाक थे। की इस सरोवर में पानी की कोई कमी नहीं।फिर भी। इस यक्ष को अपने मूल्यों की पड़ी है। फिर एक साधु ने कहा।” महाराज आपके सरोवर के जल की कीमत तो हमारे जीवन से जुड़ गयी है। क्यों की अब तो इस
सरोवर का जल।हमारे शरीरों में प्रवेश कर गया है।” ।ये सुन यक्ष ने कहा। ” फिर ये जो उन घड़ो में हैं उसका क्या।?” साधु ने जवाब दिया ” किंचित ये जल इन घड़ो में हैं। हम इन घड़ो से पानी दुबारा सरोवर में डाल भी दें तो आपका मूल्य आपको दे नहीं सकते। आपकी मूल्य तो तभी दे पाएँगे। जब प्राण-आहुति दी जाएगी…”। ऐसा कह सभो ने एक एक कर अपने जल से भरे घड़ो को सरोवर में प्रवाह कर दिया। ये देख यक्ष ने कहा ” जल का मूल्य माँगा था। घड़े क्यों दिए।” साधु ने कहा ” राजन इन घड़ो के अनेकों सूक्ष्म छिद्रों ने वर्षों से जिन जल-कणो को सिंचित रखा है। वही आपका माँगा हुआ मूल्य है। और फिर हमने जो जल ग्रहण किया है।तो हम सभो को मोक्ष भी यहीं लेना होगा। ये हमारा इस मान-सरोवर के प्रति अर्पित जीवन-मूल्य है।”