ये देख यक्ष ने कहा ” जल का मूल्य माँगा था। घड़े क्यों दिए।” ये देख यक्ष ने कहा ” जल का मूल्य माँगा था। घड़े क्यों दिए।”
कभी-कभी मनुष्य की अपूर्ण कल्पनाएँ उसके स्वप्न में पूर्ण होती हैं। सपना देखना सुखद भी होता है और दुःख... कभी-कभी मनुष्य की अपूर्ण कल्पनाएँ उसके स्वप्न में पूर्ण होती हैं। सपना देखना सुख...
रामेश्वर जी शिक्षक थे और उनकी ड्यूटी सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम को 4:00 बजे तक स्कूल में होती थी। छा... रामेश्वर जी शिक्षक थे और उनकी ड्यूटी सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम को 4:00 बजे तक स...
मैं तुम्हारे ही इंतज़ार में यहाँ घंटों से खड़ा हूँ मैं तुम्हारे ही इंतज़ार में यहाँ घंटों से खड़ा हूँ
विधाता ने ये कैसा अनर्थ किया था, जो हुआ ही नहीं था, तब उसका आभास कर दिया। विधाता ने ये कैसा अनर्थ किया था, जो हुआ ही नहीं था, तब उसका आभास कर दिया।
अपनी धन सम्पदा खोकर भिखारी बनकर गली-गली घुमोगे। अपनी धन सम्पदा खोकर भिखारी बनकर गली-गली घुमोगे।