लेखक : निकोलाय गोगल अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। लेखक : निकोलाय गोगल अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
हाँ आश्वस्त रहना सब कुछ नष्ट हो जाने के बाद भी बहुत कुछ शेष रह जाता है जीवन के लिये। हाँ आश्वस्त रहना सब कुछ नष्ट हो जाने के बाद भी बहुत कुछ शेष रह जाता है जीवन के ल...
रामेश्वर जी शिक्षक थे और उनकी ड्यूटी सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम को 4:00 बजे तक स्कूल में होती थी। छा... रामेश्वर जी शिक्षक थे और उनकी ड्यूटी सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम को 4:00 बजे तक स...
उनकी आंखें कैसे खोलीं जाऐं या उनको कैसे जगाया जाये, एक बहुत बड़ा सवाल है। उनकी आंखें कैसे खोलीं जाऐं या उनको कैसे जगाया जाये, एक बहुत बड़ा सवाल है।
इसमें कोई शक नहीं है कि हम इस दुनिया में पैदा हुए हैं और हर खजाने में अमीर हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि हम इस दुनिया में पैदा हुए हैं और हर खजाने में अमीर हैं।
"माँ मैं कभी जज्बात में निर्णय नहीं लेती और यह निर्णय भी मैंने जज्बात में नहीं लिया है "माँ मैं कभी जज्बात में निर्णय नहीं लेती और यह निर्णय भी मैंने जज्बात में नहीं ल...