लेखक : निकोलाय गोगल अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। लेखक : निकोलाय गोगल अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
आज के लिए इतना ही, मिलते हैं कल फिर से, मेरी प्यारी संगिनी। आज के लिए इतना ही, मिलते हैं कल फिर से, मेरी प्यारी संगिनी।
छोटे से संसार की रानी हो और मेरी आने वाली गुड़िया मेरी परी है। छोटे से संसार की रानी हो और मेरी आने वाली गुड़िया मेरी परी है।
मौत और संसार में विनाशकारी समय बहुत संकट आया है मौत और संसार में विनाशकारी समय बहुत संकट आया है
एक कहानी एक कहानी
इस तरह माया ने पस तरह माया ने प्रतिशोध के वशीभूत होकर अपने और सत्यकाम के प्राण ले लिए। इस तरह माया ने पस तरह माया ने प्रतिशोध के वशीभूत होकर अपने और सत्यकाम के प्राण ल...