खुशियाँ [10 जून]
खुशियाँ [10 जून]
मेरी प्यारी संगिनी
आज काम कुछ जल्दी खत्म हो गया, इसलिए तुमसे मिलने जल्दी चली आई, आज मेरे लिए बहुत खुशी का दिन है, आज ही के दिन मेरे घर, मेरी गृहलक्ष्मी मेरी बहू आई थी,,,
सुबह मैंने ठाकुर जी से बहू और बेटे के लिए अरदास किया, कि उनका जीवन खुशी से बीते, नौकरी के सिलसिले में दोनों दूसरे शहर में रहते हैं, तो उनके लिए एक केक ऑनलाइन ऑर्डर करके भेजा, हम जिनसे भी प्यार करते हैं, उसे अभिव्यक्त करना ज़रूरी होता है, इससे आपसी प्रेम बढ़ता है,,
आज का "जीवन दर्शन"
खुशियाँ हमारे भीतर ही है, इसे बाहर ना ढूंढे, दूसरों की खुशी का ध्यान रखने पर हम स्वतः ही खुश हो जाते हैं,,,,
आज के लिए इतना ही, मिलते हैं कल फिर से, मेरी प्यारी संगिनी।
