फ्री इंडिया
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आजादी के 73 सालों के बाद भी क्या हम आज़ाद हैं।
आज़ादी के असली मायने क्या है ? आज़ादी के असली मायने हैं, हमारे विचारों को भी पूर्णतः आज़ादी मिले, चाहे वो कोई भी हो, हमारे बच्चे या हमारे घर के बड़े बुज़ुर्ग, सबका मानवीय अधिकार है, आज़ादी।
किसी को पराधीन रखने का, हमें कोई हक़ नहीं है, क्योंकि हम स्वयं भी, कभी किसी के आधीन रहना पसंद नहीं करते, हमारे विचारों की अवमानना हो, यह हम कभी नहीं चाहते, तो दूसरों पर हम इसे कैसे थोप सकते हैं ?
जब तक बच्चे छोटे रहते हैं, तब तक उन्हें हम अपने ढंग से चलाते हैं, उनकी नींव मजबूत करना हमारा फर्ज़ है, लेकिन एक समय के बाद, जब बच्चे बड़े हो जाते हैं, उन्हें अपने जीवन के फैसले लेने की पूरी आज़ादी देनी चाहिए, हमें सिर्फ मार्गदर्शन देने की ज़रूरत है, क्योंकि माता-पिता हमेशा के लिए, बच्चों के साथ नहीं रहते।
ऐसे में बच्चों को, सही ग़लत की पहचान होना अति आवश्यक है, और यह तभी होगा, जब वे अपना निर्णय स्वयं लेंगे, ठोकर खाएंगे, गिरेंगे और फिर संभलेंगे।
इसी तरह से बच्चों को भी वृद्धावस्था में अपने माँ-बाप पर, अपने विचारों को हावी नहीं करना चाहिए, विचारों में टकराव होना लाज़मी है, माँ-बाप का अनुभव, उनके पूरे जीवन काल की पूंजी होती है, जो किताबी ज्ञान में नहीं होती।
इसीलिए थोड़ी देर, थोड़ा सा समय घर के कोने में पड़े, बुज़ुर्ग माता पिता के लिए ज़रूर निकालनी चाहिए, क्योंकि उन्हें भी खुश रहने का पूरा हक़ है, उन्हें अपने तरीके से जीने की आज़दी जरूर मिलनी चाहिए। तभी आज़ादी सही मायने में अपनी छटा बिखेरेगी।
