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Shishpal Chiniya

Abstract

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पर्यावरण प्रदूषण

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आज मैं आया हूँ एक विकराल समस्या लेकर जिसका विनाश और खात्मा किसी एक व्यक्ति के पास नहींं है। इसके लिए हमें और पूरे भारतवर्ष को डटकर और संयम के साथ साथ अनुशासन में रहकर इसका सामना किया जा सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण - जब हमारे घर में चूल्हा जलता है तो हमें धुएँ से घुटन होने लगती है। हम घर के बाहर भी चले जाते है। यहाँ तक कि हम उस धुएँ के करीब खड़े भी नहीं रह सकते है । तो सोचो हमारे वातावरण का क्या हाल होगा । जब लाखों घरों के धुएँ और करोड़ो की आबादी वाले देश भारत में जो अभी विकास शील देशों की श्रेणी में आता है।इस तरह की भयावह स्थिति हमें काफी हद तक रोक सकती है।

प्रदूषण पर्यावरण में दूषक पदार्थों के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में पैदा होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषण पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुंचाते हैं।

प्रदूषण का अर्थ है - 'हवा, पानी, मिट्टी आदि का अवांछित द्रव्यों से दूषित होना', जिसका सजीवों पर प्रत्यक्ष रूप से विपरीत प्रभाव पड़ता है। तथा पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान द्वारा अन्य अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ते हैं। वर्तमान समय में पर्यावरणीय अवनयन का यह एक प्रमुख कारण है।

यह सर्वप्रथम 1980 के वर्ष में नोट किया गया की ओजोन स्तर का विघटन संपूर्ण पृथ्वी के चारों ओर हो रहा है। दक्षिण ध्रुव विस्तारों में ओजोन स्तर का विघटन 40%-50% हुआ है। इस विशाल घटना को ओजोन छिद्र (ओजोन होल) कहतें है। 

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार -

1.वायु प्रदूषण

वायु में ऐसे बाह्य तत्वों की उपस्थिति जो मनुष्य के स्वास्थ्य अथवा कल्याण हेतु हानिकारक हो, ऐसी स्थिति को वायु प्रदूषण कहते हैं।

वायु प्रदूषण के कुछ सामान्य से कारण है-

जैसे

वाहनों से निकलने वाला धुआँ।

औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुँआ तथा रसायन।

आणविक संयत्रों से निकलने वाली गैसें तथा धूल-कण।

जंगलों में पेड़ पौधें के जलने से, कोयले के जलने से तथा तेल शोधन कारखानों आदि से निकलने वाला धुआँ।

2 . जल प्रदूषण -

पानी में अवांछित तथा घातक तत्वों की उपस्तिथि से पानी का दूषित हो जाना, जिससे कि वह पीने योग्य नहींं रहता।

जल प्रदूषण के कारण-

मानव मल का नदियों, नहरों आदि में विसर्जन।

सफाई तथा सीवर का उचित प्रबंध्न न होना।

इससे पीने के पानी की कमी बढ़ती है, क्योंकि नदियों, नहरों यहाँ तक कि जमीन के भीतर का पानी भी प्रदूषित हो जाता है।

ध्वनि प्रदूषण -

अनियंत्रित, अत्यधिक तीव्र एवं असहनीय ध्वनि को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। ध्वनि प्रदूषण की तीव्रता को ‘डेसिबल इकाई’ में मापा जाता है।

ध्वनि प्रदूषण का कारण -

शहरों एवं गाँवों में किसी भी त्योहार व उत्सव में, राजनैतिक दलों के चुनाव प्रचार व रैली में लाउडस्पीकरों का अनियंत्रित इस्तेमाल/प्रयोग।

अनियंत्रित वाहनों के विस्तार के कारण उनके इंजन एवं हार्न के कारण।

औद्योगिक क्षेत्रों में उच्च ध्वनि क्षमता के पावर सायरन, हॉर्न तथा मशीनों के द्वारा होने वाले शोर।

जनरेटरों एवं डीजल पम्पों आदि से ध्वनि प्रदूषण।

प्रभाव - प्रदूषण का प्रभाव कोई लाभदायक तो होगा नहींं । आप सभी को पता है। जब इंसान अपनी जिंदगी ही घुटकर जीने लगा जाता है। तो क्या घण्टा जीवन जी रहा है।

एक बहुत बड़ा कदम और बदलाव जो हमें ओर इस पर्यावरण को मौत के मूँह से बच सकता है वो है पेड़ लगाइयेचलो शुरुआत करते है। जन्मदिन हो किसी की पुण्यतिथि ।

शादी हो या कोई और किसी भी तरह का उत्सव 20-20 पेड़ प्रति जन लगाए।

यकीन मानिए 365 दिन बाद हमारा भारत 360° तक साफ होगा है। और एक स्वच्छ और स्वस्थ भारत के साथ अपनी जीवन यात्रा आगे बढ़ा सकेंगे।


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