स्नेहाकांक्षी लेखक , मेरी रचना ही मेरी कल्पना है , और मेरी कल्पना मेरी स्पर्धा...
Submitted on 01 Nov, 2019 at 18:26 PM
ज़िन्दगी के जद्दोजेहद में..! आज जो रिश्तों की पोटली खोलने बैठा, तो पाया खुद को कुछ यूँ बदनसीब..! बिछड़ गए वही रिश्ते हमसे, जो थे हमारे हृदय के बेहद करीब..!!