Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Rishabh Tomar

Romance

5.0  

Rishabh Tomar

Romance

मेरी राधिका

मेरी राधिका

2 mins
493


स्वप्न में है आमंत्रण तुम्हारा प्रिये

याद बनकर मुझे न सताओ प्रिये

थाल पूजा का हाथों में ले के सुनो

मन मंदिर में मिलने आओ प्रिये


प्रेम नैनों से ही तुम जताओ प्रिये

वादे सारे मिलन के निभाओ प्रिये

प्रेम के बोल लोगों को चुभ जायेंगे

तुम प्रेम से पास में न बुलाओ प्रिये


प्यार ईश्वर की अनुपम कृती है कोई

कृष्ण की प्यार मय बाँसुरी है कोई

पाप और पुण्य की बात जो हो कही

प्यार ईश्वर की ही आकृति है कोई


चाहे हो दूरियां या हो पावन मिलन 

प्रेम में कोई भी दर्द होता नहीं

प्रेम मीरा की तरह गीत गाता सदा

प्रेम में कोई हो जर्द रोता नहीं


ये इबादत है ईश्वर की सुन लो प्रिये 

प्यार में कोई भी शर्त होती नहीं

प्यार पूजा समर्पण की है भावना

प्यार में कोई भी तर्क होती नहीं


प्यार नाज़ुक है साथी तुहिन बूंद सा

जग के छूने से ही ये झर जायेगा

बाँध लेगा ये सागर को भी सेतु से 

राम सा दीन हो के भी लड़ जायेगा


प्यार की है परी आसमानी ऋषभ

संग हक़ीक़त की बगिया में है खिली

प्रेम दशहरे में रावण का वध है सुनो

संग भावनाओं की नन्ही ये कोमल कली


सारी दुनिया की दौलत भी चाहे अगर

 प्रेम का मोल तो लग सकता नहीं

प्रेम पीपल की तरह उगेगा सदा

हो पत्थर या मिट्टी वो थक सकता नहीं


इसलिए न डरो तुम बिछोह छोह से

प्रेम प्रतीक्षा भी सदियों तक कर जायेगा

नफरतों का हो कैसा भी आलम ऋषभ

प्रेम नफरत में चाहत को भर जायेगा


इसलिये हम चलो अब चले प्रेम संग

सारी दुनिया निःसंदेह रह जायेगी दंग

सहारा में खिलेंगे जाँ सुकोमल से गुल

और खिजा में खिलेंगे भू पे सुंदर रंग


प्यार की राह में यूँ हम और तुम

मौत से भी तो आगे निकल जाएंगे

स्वार्थ छल क्या बिगड़ेंगे अपना प्रिये

प्रेम की डोर थाम हम संग फल जायेंगे


सहके हालत की हर चपेटो को हम

वक्त की मार से भी झुकेंगे नहीं

प्रेम है कोई दुर्गम सा पर्वत तो क्या

थाम कर इक दूजे का रुकेंगे नहीं


तितली मौसम घाट और ये चाँदनी

तेरे चेहरे पे साथी सजा जायेंगे

तुमको अपना भले ही बना न सके

खुद को तेरा प्रिये बना जायेंगे


जब भी आओगी समर्पित पाओगी मुझे

मैं शिव सा नहीं हूँ पर शिव सा प्रिये

हम रूह में रूह शिव गौरी सी बाँधकर

स्वार्थ छल दंभ सबसे कहेंगे ना प्रिये


मैं हो जाऊँगा तुम्हारा वैरागी सती

बनके आओगी तुम जब पार्वती

जड़ हुए शिव की तरहा मैं भी सुनो

पाओगी शिवजी की तरहा ही गती


श्याम की तरहा ही तुम्हें चाहूंगा राधिका

कर आराध्या बनाऊँगा तुमको जाँ साधिका

ये मेरा जीवन रहेगा समर्पित तुम्हें

पार भवसागर से होंगे तेरे संग नाविका


स्वप्न में है आमंत्रण तुम्हारा प्रिये

याद बनकर मुझे न सताओ प्रिये

थाल पूजा का हाथों में ले के सुनो

मन मंदिर में मिलने को आओ प्रिये



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance