जूही का फूल
जूही का फूल
सुबह शाम दिन रात प्रिये बस तुम हो मेरा मूल
भला बुरा अच्छा जैसा भी, तेरा सब है कबूल
तुम हो तो जीवन में जीवन तुम बिन क्या बोलूँ
मखमल रूई फूल लगे सब मुझको मानो सूल
कोमल कंचन रूप कोटि कामो को दे दे मात
तुम अनुपम हो उपमेय लगे है तेरे आगे धूल
मुख चन्दा आंखे है झील सी रूप का तू है रूप
महक मोहिनी स्निग्ध ह्रदय से तुम जूही का फूल
गौरी शिव को सिया राम को ज्यो कान्हा को राधा
वैसे ही तुम सुख समृद्धि मेरी, तुम हो मेरा समूल
होली दिवाली ईद दशहरा क्रिसमस लोड़ी मेरी
सुनो सलौनी जैसी भी तुम हो मुझको मक़बूल
ऋषभ का तुम ऋ हो प्यारी सरल कहूँ तो ये है
तुम बिना तेरा ऋषभ रहेगा सदा प्रिये मक़तूल

