सूरज
सूरज
क्यों ढलता है सूरज
क्यों रात होती है
क्यों आपको मैं आकर
फिर नींद सोती है
क्यों आंखों में मेरे
फिर सपने आते हैं
क्यों रूठे हुए अपने आते हैं
क्यों आते हैं रातों को
जो दिन में सताते हैं
दिल ए हाल अपना
हम उनसे बताते हैं
अपना होकर भी कैसे रूठ जाते हैं
शायद अच्छा लगता होगा
उन्हें जो इतना सताते हैं।

