आसमान को बांहों में भर
आसमान को बांहों में भर
कब तक सुनेगी दुनिया को
इस पंख कतरने आते हैं
जो नहीं किसी की सुनते
वह हौसलों की उड़ान भर जाते हैं
कोशिश तो करके देख
नहीं बेकार किसी की जाती
रोशन कर देती है दुनिया दिए से लग कर बाती
क्यों देख रही है उन कदमों को जो मंजिल तक ले जाए
ऐसे कर ले बुलंद हौसले खुद के निशान बनाएं
आखिर कब तक पगली तकती रहेगी तू
बेजान भूत बनकर कब तक रहेगी यूं
अपने लिए तू खुद में संचार कर उड़ जा
आसमान की ओर उसको बांहों में भर
