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Neha anahita Srivastava

Drama Tragedy Others

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Neha anahita Srivastava

Drama Tragedy Others

आख़िरी दस्तख़त

आख़िरी दस्तख़त

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आजकल के टूटते बिखरते रिश्तों के दर्द को महसूस करने की कोशिश करते चन्द अल्फ़ाज़.....


"रिश्तों की वसीयत में ये दस्तख़त आखिरी हैं,

मुकम्मल न हुआ मरासिम, मुहर ये आखिरी है,

घर से फिर मकां बनाने की रिश्वत ये आखिरी है,

खट्टी-मीठी यादों के कुछ पल तेरे, कुछ मेरे हिस्से में हैं

खुशबू गुलों की जोड़ रखेगी,

ख़ार कुछ आ लिपटे मेरे आँचल से तो कुछ तेरे हाथों से,

साँसे आखिरी लेता है ‌मरासिम,

कसक तेरे दिल में तो टीस मेरे भी मन में है,

उधड़ी-उधड़ी सी सीयन ज़ख्म दिखने लगे,

कागज़ों में आवाज़ नहीं,टूटा भीतर कुछ है,

खाली सा दिन, सूनी सी शब

आये हैं दोनों के हिस्से में,

हाँ, आखिरी एक दस्तख़त जरूरी था,

अजनबी फिर से होने के लिए।"



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