सबसे सुंदर कविता "बचपन"
सबसे सुंदर कविता "बचपन"
कहते हैं,
इस सुंदर संसार का रचयिता है,
ईश्वर,और
हम सब ईश्वर की लिखी कविताएं है,
किसी व्यस्त दिन,
कुछ कठोर शब्दों और एकाध कोमल शब्दों से,
रची ईश्वर ने एक कविता,
शीर्षक था 'पुरूष',
फिर सुंदर,कोमल शब्दों,
से रची एक कोमल कविता,
शीर्षक दिया 'स्त्री',
फिर एक सुहावनी सुबह,
जब गुनगुना रहे थे पंछी,
फूल मुस्कुरा रहे थे,
ईश्वर लिखने बैठा,
अपनी सबसे सुंदर कविता,
अचानक नटखट से कुछ शब्द,
बिखर गए,
कुछ जा छिपे पहाड़ों के पीछे,
कुछ हरे पेड़ो के पीछे,
कुछ पुरूष वाली कविता के शब्दों के पीछे,
कुछ स्त्री वाली कविता के शब्दों
आंचल में,
ईश्वर ने उन्हें प्यार से पास बुलाया,
बहलाया, फुसलाया,
न माने तो,
लगाई मीठी सी डांट,
कतारबद्ध सब आ खड़े हो गए,
फिर रची ईश्वर ने सबसे सुंदर कविता,
"बचपन"
रंग-बिरंगे शब्दों के पंख लगा,
वह उड़ती हुई पंछियों सी गुनगुनाने लगी,
ईश्वर के मुँह से अनायास ही निकला,
"हां,यही है मेरी सबसे सुंदर और
प्रिय कविता
"बचपन।"
