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Neha anahita Srivastava

Others

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Neha anahita Srivastava

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बाबा, की तुमने क्या शैतानी, जो भगवान‌ ने इतना निचोड़ा,

बाबा, की तुमने क्या शैतानी, जो भगवान‌ ने इतना निचोड़ा,

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देख सिलवटें,

बाबा के हाथों की

पूछ बैठा पोता,

बाबा, की तुमने क्या शैतानी,

जो भगवान‌ ने इतना निचोड़ा,

हँस पड़े बाबा बोले,

बचपन में था नहीं पास कुछ,

जवानी में था बटुआ,

बुढ़ापे में रखने को‌ कीमती अनुभव,

देख ,सिलवटों से तन है ये

भरा हुआ,

दे कर टॉफी बाबा के हाथ में,

पोते ने कानों में हौले से कहा,

"लो छुपा लो बाबा,

मेरी टॉफी इन सिलवटों की जेब में,

न खोज पायेगी वो शैतान छोटी

इन सिलवटों को भी खिला देना,

हां, ज्यादा नहीं,बस थोड़ी-थोड़ी

फिर, पोते ने

बड़े प्यार से अनुभवों से भरी

बेशकीमती सिलवटों को छुआ,

मांग ली नन्हें दिल ने ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌फिर भगवान से 

ये मासूम सी दुआ,

"ताउम्र रहें साथ मेरे बाबा ,उनकी सिलवटें

और सिलवटों की जेबें,

ताकि छुपा सकूँ मैं इनमें,

अपनी मीठी गोलियाँ।"


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