ऐसी की तैसी इस उम्र की, जश्न-ए-ज़िन्दगी रोज मनाते हैं हम। ऐसी की तैसी इस उम्र की, जश्न-ए-ज़िन्दगी रोज मनाते हैं हम।
उलझे धागों की उलझन में जिंदगी भी रही उलझती सी लिबास बदला रूह ना बदली जिंदगी हो गयी अदली-बदली उलझे धागों की उलझन में जिंदगी भी रही उलझती सी लिबास बदला रूह ना बदली जिंदगी...
देख सिलवटें, बाबा के हाथों की पूछ बैठा पोता। देख सिलवटें, बाबा के हाथों की पूछ बैठा पोता।
हवा के तेवर भी तीखे हुए हैं भोर में आकर सिहराने लगी है हवा के तेवर भी तीखे हुए हैं भोर में आकर सिहराने लगी है