मन को जवां यूँ बनाते हैं हम (टास्क 6)
मन को जवां यूँ बनाते हैं हम (टास्क 6)
"मन को जवां यूँ बनाते हैं हम,
केक पर अट्ठारह मोमबत्तियाँ हमेशा लगाते हैं,
सफेद बालों को नहीं छुपाते हैं हम,
हर बाल पर नज़र का काला टीका लगाते हैं,
सिलवटें ,ये झुर्रियाँ नहीं हैं उम्र की निशानियाँ,
ये तो इक अदा है हमारी,
उम्र को इस तरह मुँह चिढ़ाते हैं हम,
दाँतो के बीच यूँ ही नहीं खोल रखी हैं खिड़कियाँ,
ताजी हवा के झोंको को यूँ पास बुलाते हैं हम,
फिर,
ऐसी की तैसी इस उम्र की,
जश्न-ए-ज़िन्दगी रोज मनाते हैं हम।