आखिर क्यों एक अपराध है यह वृद्धावस्था का प्रेम। आखिर क्यों एक अपराध है यह वृद्धावस्था का प्रेम।
न दुनिया बदलेगी न इसकी स्त्रीयों के लिए परिभाषा में बदलाव किया जाएगा। न दुनिया बदलेगी न इसकी स्त्रीयों के लिए परिभाषा में बदलाव किया जाएगा।
एक दिन नेट बन्द, लगे बची सांसें चन्द ज़िंदगी हमारी फिर, कम लगी जा रही। एक दिन नेट बन्द, लगे बची सांसें चन्द ज़िंदगी हमारी फिर, कम लगी जा रही।
वक्त के साथ चलते चलते मंजिल मिल जाती है। वक्त के साथ चलते चलते मंजिल मिल जाती है।
ऐसी की तैसी इस उम्र की, जश्न-ए-ज़िन्दगी रोज मनाते हैं हम। ऐसी की तैसी इस उम्र की, जश्न-ए-ज़िन्दगी रोज मनाते हैं हम।
सुख और दुख एक पेड़ की डाली जैसे गुलाब और उसका रखवाला माली। सुख और दुख एक पेड़ की डाली जैसे गुलाब और उसका रखवाला माली।