हमारा एक दूसरे के बिना गुज़ारा भी कहाँ हुआ करता था। हमारा एक दूसरे के बिना गुज़ारा भी कहाँ हुआ करता था।
अबार्शन करना एक सभ्य महिला का अपना अधिकार है। अबार्शन करना एक सभ्य महिला का अपना अधिकार है।
सब्र रख सब्र रख
ओस की बूंदें बन एक दूसरे के बगीचे में हम बरसते रहे। ओस की बूंदें बन एक दूसरे के बगीचे में हम बरसते रहे।
जान जाती है इश्क़ में अक्सर जान देने का हौसला रखना। जान जाती है इश्क़ में अक्सर जान देने का हौसला रखना।
खुद ही कहिए और खुद ही सुना कीजिए इस तरह अपना हौसला जुटाते रहिए। खुद ही कहिए और खुद ही सुना कीजिए इस तरह अपना हौसला जुटाते रहिए।