यह रचना दोहा छंद पर आधारित है जो, हिन्दी के गौरव को रेखांकित करती है । यह रचना दोहा छंद पर आधारित है जो, हिन्दी के गौरव को रेखांकित करती है ।
लो मिल गई मुझे, वो छोटी-सी बच्ची, आज मुझमें ही...! लो मिल गई मुझे, वो छोटी-सी बच्ची, आज मुझमें ही...!
मन के एकांत में छुपा प्रकाश, स्वयं के अस्तित्व को आलौकिक करता है। मन के एकांत में छुपा प्रकाश, स्वयं के अस्तित्व को आलौकिक करता है।
आत्मसात न कर लेना तुम स्त्रियों के अपने अपमान को। आत्मसात न कर लेना तुम स्त्रियों के अपने अपमान को।
वक्त के साथ चलते चलते मंजिल मिल जाती है। वक्त के साथ चलते चलते मंजिल मिल जाती है।
पिता की आज्ञा मानना हमारी परम्परा है, इसी का पालन करते बालक नचिकेता यमराज के द्वार जाता है... और फिर... पिता की आज्ञा मानना हमारी परम्परा है, इसी का पालन करते बालक नचिकेता यमराज के द्व...