विजय श्री ने तब भी, पकड़ी ये बाह है। विजय श्री ने तब भी, पकड़ी ये बाह है।
तुम धरतीरूपी शरीर की पिच पर सृजन रूपी रन बना तुम धरतीरूपी शरीर की पिच पर सृजन रूपी रन बना
पाप-पुण्य का वहाँ हर लेखा जोखा है, कब खत्म हो जिंदगी क्या भरोसा है। पाप-पुण्य का वहाँ हर लेखा जोखा है, कब खत्म हो जिंदगी क्या भरोसा है।
तभी तो औरत मरने के बाद भी नहीं छोड़ पाती चिंता अपने परिवार की। तभी तो औरत मरने के बाद भी नहीं छोड़ पाती चिंता अपने परिवार की।
गले से लगाया तो आपका होकर रह जाता है यह कोरोना है जनाब, गले से लगाया तो आपका होकर रह जाता है यह कोरोना है जनाब,
एक बार आए तो। सबको इसने अपना बना लेना है। गले से लगाया तो आपका हो जाना है एक बार आए तो। सबको इसने अपना बना लेना है। गले से लगाया तो आपका हो जाना है