कोरोना
कोरोना
अतिथि नहीं है जनाब ।
दस्तक से भी नहीं है इसका कोई काम ।
मनवार से इसका नाता है।
हर कोई इसे साथ लेकर ही आता है ।
एक बार आए तो
सबको अपना बना लेता है।
गले से लगाया तो आपका होकर रह जाता है।
यह कोरोना है जनाब,
बुलावे पर ही इसको आना है। नहीं तो सदा के लिए इसने हमें भूल जाना है।
सेनीटाइजर, मास्क से सख्त नफरत रखता है।
यह तो जनाब इंसानों के ही गले पड़ता है ।
उपहार में सर्दी,खांसी, खराश ले आता है।
साथ में यमराज का प्रवेश पत्र ( gate pass) भी बनवा लाता है ।
लेकिन,
एड़िया रगड़ कर ओखली में सिर देना है।
या इतिश्री को अलविदा कहना है।
निर्णय तो अब ले ही लेना है।।