STORYMIRROR

Nishita Jain

Tragedy

4  

Nishita Jain

Tragedy

2020

2020

1 min
253

एक आया था साल 2020

जिसने मचा दिया था पूरी दुनिया में हाहाकार!

आयी थी कोरोना महामारी, जिससे पलट गई थी दुनिया सारी!


मजदूरों ने घर पहुचने को रास्ते नापे ,

तो कहीं लोग दुखों के चलते, जीवन का मैदान छोड़कर भागे!


कहीं रुक गयी थी रैल, तो आसमान को भी हम कहा छू पा रहे थे;

उफ इस कोरोना ने, कितने लोकडाउन और कर्फ्यू लगाए थे!

शिक्षा अब ऑनलाइन थी, स्कूल कॉलेजो ने भी कहाँ ही अपनी बत्तियां तक जलाई थी!


कोरोना ने कई जीवन छीन लिए, तो जीवितो को भी कहाँ उसने छोड़ा था;

लोगों के सपने, आशायें, खुशियां, सभी का दम उसने तोड़ा था!


वैसे तो सब बदल गया, पर एक आस अब भी बाकी है 

होगा सब ठीक एक दिन, यही आशा हमने बांधी है!


सूरज भी ढलता है हर दिन, तो क्या वो उगना छोड़ देगा?

आज भले ही ढल गया हो, सवेरे उगेगा और फिर वही प्रकाश देगा!


Rate this content
Log in

More hindi poem from Nishita Jain

2020

2020

1 min read

Similar hindi poem from Tragedy