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akhilesh kumar

Tragedy

5  

akhilesh kumar

Tragedy

घर लौटती औरत

घर लौटती औरत

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नौकरी कर 

घर लौटती औरत 

बेहद थकी होती है

उसके जिस्म के पोर पोर पर

वजन होता 

तमाम आड़ी टेढ़ी नजरों का

कपड़े बदलने से पहले

जिस्म से बीन कर 

फेंकनी पड़तीं ये नजरें

औरत के लिए

रोटी, सब्जी, बर्तन,सफाई....

रोज की हाड़ तोड़ मेहनत से

कहीं ज्यादा तकलीफदेह होतीं

जिस्म को टटोलतीं नजरें।


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