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akhilesh kumar

Others

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akhilesh kumar

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लड़कियां

लड़कियां

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लड़कियां !

अपने ही घर में

तराशी जातीं

पराये घर को

खुश रखने के लिए।

लड़कियां !!

इक दिन

दान कर दी जातीं

बिना मरजी जाने।

लड़कियां !!!

रात को चुपके से खोलतीं

दुपट्टे की गांठ 

और दिये की लौ में परखतीं

रिश्तों में अपनापन

लड़कियां !!!

कलमबंद बयान नहीं

जुबानी हलफनामा होती हैं।


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