तजुर्बे से समझता है
तजुर्बे से समझता है


किताबों से नहीं, वह तजुर्बे से समझता है
मजलूम का बच्चा पैसे की जुबान समझता है
उसे पता, मौत पर औलाद लावारिस कहेगी
वह बूढ़ा झोले में नाम, पता ले के चलता है
रोटी के लिए रोज बसर होतीं जिल्लतें तमाम
मुझे खुद्दारी का निवाला, बड़ा सोंधा लगता है
वफा है, दर्द है, बेकरारी और उलझनें शातिर
इक तू ही है जो मुझमें सन्दल सा महकता है।