akhilesh kumar
Thriller
चौराहे सूनसान हैं
फांसी पर चढ़ा दो
मेरी आवाज
जैसे पाश
मरने के बाद जिन्दा हैं
नागार्जुन
केदारनाथ
मैं भी जिन्दा रहूंगा
कुछ लोग
मरने के बाद भी
जिन्दा रहते
जम्हूरियत के लिए
लड़ने के वास्ते।
तजुर्बे से सम...
जनता
नपुंसक
चौराहे सूनसान...
कोई शहर
मुझे पता है
पगडंडी
अमेरिका
लड़कियां
नदियों में
मैं नहीं जानता आगे क्या होगा लेकिन जो होगा वो भयानक होगा और तारीख़ के पन्नों में दर्ज ह मैं नहीं जानता आगे क्या होगा लेकिन जो होगा वो भयानक होगा और तारीख़ के पन्नों म...
मगर कौन जाने ख्वाबों को मूंद कहीं एक सूर्य अस्त भी हुआ। मगर कौन जाने ख्वाबों को मूंद कहीं एक सूर्य अस्त भी हुआ।
कोई अर्थी को सजा रहा आँसू को कोई छुपा रहा कोई अर्थी को सजा रहा आँसू को कोई छुपा रहा
श्वेत है अम्बर, श्वेत है धरा, शिशिर का प्रकृति कृति से आत्मसात। श्वेत है अम्बर, श्वेत है धरा, शिशिर का प्रकृति कृति से आत्मसात।
बस मेरा दर्द पहचानो.. दिल रोता तुमसे दूर रहकर, अन्दर ही अन्दर मचलकर..! बस मेरा दर्द पहचानो.. दिल रोता तुमसे दूर रहकर, अन्दर ही अन्दर मचलकर..!
ये बेकरारी कैसी इस जान को किसकी तलाश क्यूं आवारा बंजारा बन भटक रहे हैं सब साज़, ये बेकरारी कैसी इस जान को किसकी तलाश क्यूं आवारा बंजारा बन भटक रहे हैं सब साज...
रात के सन्नाटे में खौफ का साया हुआ-हुआ करता *शृंगाल भय को बढ़ाता आया। रात के सन्नाटे में खौफ का साया हुआ-हुआ करता *शृंगाल भय को बढ़ाता आया।
जवान बेटे पर हाथ जैसे बाप का नहीं चलता। जवान बेटे पर हाथ जैसे बाप का नहीं चलता।
गले लगाता उसी को लेकिन, जो सरल मार्ग पर चलता है। गले लगाता उसी को लेकिन, जो सरल मार्ग पर चलता है।
राम तुम्हारे राज वंश में, कैसे-कैसे लोग हुए, रोज पूजते हैं तुमको पर, मन में रावण रहता राम तुम्हारे राज वंश में, कैसे-कैसे लोग हुए, रोज पूजते हैं तुमको पर, मन में र...
माँग रही है सदा सदा को साथ अपने पिया का, तुम बस दोनों को लम्बी उम्र की राह चुनते जाना। माँग रही है सदा सदा को साथ अपने पिया का, तुम बस दोनों को लम्बी उम्र की राह चु...
मैं लिखना चाहता हूँ गहरे जख्मों की कहानियां। मैं लिखना चाहता हूँ गहरे जख्मों की कहानियां।
महज सांसों का रुक जाना, नहीं होता है बुराई का अंत, महज सांसों का रुक जाना, नहीं होता है बुराई का अंत,
खुद को करके उसके हवाले चैन से सो रही थी आषाढ़ का महीना रिमझिम बरसात हो रही थी खुद को करके उसके हवाले चैन से सो रही थी आषाढ़ का महीना रिमझिम बरसात हो रही थी
भूखी मरती चली गई, क्या हसीन चेहरा, लगता थी कि देवता भी, देते आये पहरा।। भूखी मरती चली गई, क्या हसीन चेहरा, लगता थी कि देवता भी, देते आये पहरा।।
जो शब्द से परे हो एक हाथ जो हाथ नहीं उसके होने का आभास हो जो शब्द से परे हो एक हाथ जो हाथ नहीं उसके होने का आभास हो
वो जवानी कहां? वो कहानी कहां? जो प्रेम में बुझ गई। वो जवानी कहां? वो कहानी कहां? जो प्रेम में बुझ गई।
बेईमान मौसम का मिजाज़ आशिकाना है इसकी शातिर चाल में तुम बहक मत जाना बेईमान मौसम का मिजाज़ आशिकाना है इसकी शातिर चाल में तुम बहक मत जाना
तू लड़की नहीं चंचला है। तुझे देख कर मेरा दिल तुझ पर डोला है। तू लड़की नहीं चंचला है। तुझे देख कर मेरा दिल तुझ पर डोला है।
अभी नादान है दिल कुछ समझता नहीं है इश्क की छांव में थोड़ा बड़ा तो होने दीजिए। अभी नादान है दिल कुछ समझता नहीं है इश्क की छांव में थोड़ा बड़ा तो होने दीजिए।