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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance Thriller

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance Thriller

पहेचान

पहेचान

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रात सुंदर मतवाली है लेकिन,

चांदनी की शीतलता वो नहीं है,

महबूबा मिलने आई है लेकिन,

अदा पहले जैसी नहीं है।


चेहरा उसका वही है लेकिन,

चेहरे की चमक पहले जैसी नहीं है,

आंखें भी उसकी वही है लेकिन,

नजर पहले जैसी नहीं है।


मूरत संगमरमर जैसी है लेकिन,

खुदा की कयामत लगती नहीं है,

मिलन के लिये आई है लेकिन,

तड़प पहले जैसी नहीं है।


वफ़ा बन के आई है लेकिन,

वफ़ादारी मुझे दिखती नहीं है,

साथ मेरा निभाने आई है लेकिन,

तरीका सही लगता नहीं है।


इश्क का राग बन के आई है लेकिन,

इश्क का आलाप सुरीला नहीं है,

क्या करूँ ? किस को कहूं "मुरली"? 

महबूबा को पहचानना मुश्किल है।



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