मेरी अनकही सी बातें
मेरी अनकही सी बातें


कैसा ये मौसम है आज बेहिसाब यादें देकर जाएगा ,
कुछ तेरे तो कुछ मेरे अरमानों को पूरा कर जाएगा,
अनकही सी मेरी बातों को कहानी बना जाएगा ,
तेरी महकती हुई सांसों को फिर मुझमें दफ़न कर जाएगा,
कैसी ये मुहब्बत है शायद मौसम का मिजाज आज बताएगा,
कभी रुठना कभी मनाना शायद मौसम को भी समझ नहीं आएगा,
मेरी पायल की रून-झुन और ये संगीत आज दगा कर जाएगा ,
अनगिनत गिरती हुई बूंदों में जब वो यूं ही पास आएगा,
उसकी छुअन का एहसास सालों साल यूं ही रह जाएगा ,
जब उसका दिया हुआ दुपट्टा भीगकर मेरे बदन से लिपट जाएगा,
ना कहकर भी अनगिनत बातें आज वो कह जाएगा ,
मदहोशी के इस आलम में जब छूकर इन होंठों को वो अपने लबों से लगाएगा,
संगीत सा गुंजेगा चहुं ओर और वो गुनगुनाएगा,
बजेगी फिर म
ेरी पायल और फिज़ा में प्यार बिखर जाएगा,
कैसा ये पवित्र सा बंधन है जो एक नई डोर में बंध जाएगा ,
प्यार भरे मौसम में ना जाने कितनों को ये सपने दे जाएगा,
ना आज ये रात बीतेगी ना ही कोई समझ पाएगा ,
बारिश के इस आलम में जब वो यूं ही चला जाएगा,
अक्सर ये मौसम मुझे रूला जाता है यादें अनगिनत फिर याद आती है ,
आज से बेहतर कल था जो मुझे अक्सर बताता है,
मजबूरियों में फंसीं ये कहानी क्या कोई समझ पाएगा ,
ना ही मैं लिख पाऊंगी ना ही वो समझ पाएगा,
ये मेरी अनकही बातें हैं एहसास उसे हो जाएगा ,
ना कहकर भी कहना उसका ना जाने मुझे कब समझ आएगा,
हां मेरी अनकही बातों को समझने वाला शायद कोई तो आएगा
अधूरी सी एक दास्तां को शायद कभी कोई तो मुक्कमल कर जाएगा