इश्क़ की बावरी ,,
इश्क़ की बावरी ,,
किट्टू की कलम से ✍️
सुनो कुछ कहूं??
तुम्हारी ख़ामोशी की गर तुम वजह समझ जाओगे,
सच कह रही हूँ, दिल से मुस्कुराओगे।
नम हुई हैं मेरी आँखें, कब ये जान पाओगे,
बरसती बूंदों का पैग़ाम कभी पहचान पाओगे?
तअल्लुक़ है तुमसे, लौट आओ, क्या सह पाओगे?
तमाशा बना दी है मोहब्बत, होश में कब आ पाओगे?
फ़ुर्सत मिले तो महसूस करना ऐ मेरे हमदम,
पर सच कहो, क्या वाक़ई मुझे समझ पाओगे?
बावरी हूँ इश्क़ में, ये बात कब समझ पाओगे,
क्या मेरे जाने के बाद भी कभी समझ पाओगे ?
तुम्हारे बिना ये दिल अब कहाँ सुकून पाएगा,
हर लम्हा तुम्हारी यादों में ही डूब जाएगा।
चुपचाप दिल से निकलती आहों को क्या सुन पाओगे,
दिल की आवाज़ कभी तुम समझ भी पाओगे?
मेरे सवालों का जवाब क्या कभी ढूंढ पाओगे,
क्या खामोश रहकर भी दिल की बात कह पाओगे?
तन्हाई में जो रातें हैं, उनका हाल सुन पाओगे,
मेरे लबों की ख़ामोशी में दर्द महसूस कर पाओगे?
बताओ क्या तुम साथ निभाओगे,,

