खामोशी चाहिए ....
खामोशी चाहिए ....


उसने कहा कुछ चाहिए ?
चाँद की चाँदनी ..
तारों का अम्बार ...
या बहुत बड़ी सी कार?
सुनकर बोली वह नहीं
कुछ भी तो नहीं
सब हैं ये भारी भरकम बेकार ...
थोड़ी सी ख़ामोशी मुझे है स्वीकार ...
अतिशयोक्ति में डूबा हुआ नहीं चाहिए प्यार
बस कुछ पल की ख़ामोशी का दे दो उपहार
क्योंकि लफ्ज़ बोलते ही नहीं तोलते भी हैं
और भाव अगर तोले जाए तो लगता है बाज़ार
पर प्रेम तो गूंगे के गुड़ सा है बस आनन्द की फुहार
इसलिए नहीं चाहिए हीरे का हार
बस खामोशी ही है मुझे स्वीकार !!