कृत्रिम बुद्धिमता का दौर
कृत्रिम बुद्धिमता का दौर


कल्पनाशील होना..
सृजनात्मक होना ..
संवेदनशील होना ..
सभी गुणों से पूरित मानव
जब अपनी विद्वता से ए वन
तकनीक को अपनाता है...
सच न जाने तब देखिए भविष्य में
वह कैसे कैसे गुल खिलाता है ?
ये ठीक है कि विज्ञान जब तक करता है रक्षण !
देता है मानवों को वह अपना सकारात्मक संरक्षण !!
पर जब विपरीत बुद्धि का खेल विश्व में चलने लगेगा !
"ए .आई" का मायावी मानस मनुज को ...
बदलने लगेगा !!
तब भस्मासुर सा" ए .आई "का दुःस्वप्न साकार होगा !
जब मनुज को कर्महीन व्यक्तित्व स्वीकार होगा !!
क्या कल्पना ..सृजनात्मकता ..संवेदनाएं ..
"ए .आई की शुष्क बुद्धिमता को ..लुभाएँ ..
चाहे कितनी भी तकनीकी ज्ञान की हो बात !
रोबोट तो केवल मशीन है वह न जाने दिल के जज़्बात !!
मनुष्य करुणा भाव से पावनता की ओर जाता है !
वह निःस्वार्थ परोपकारी भाव से अमरता पूत कहलाता है !!
कोई भी कृत्रिम बुद्धि के दौर कितने आएँगे ..
पर मानवता के आगे वह घुटने टिका न पाएँगे !!